भजन

भजन
छोड़ो माया भजो भगवान् को

  छोड़ो माया भजो भगवान् को, जिन्दगी का ठिकाना नहीं है ।। टेक ।।

भाई बन्धु कुटुम्ब सुत दारा, कोई हरगिज न होगा तुम्हारा।

ये मानव का तन जो मिला है, व्यर्थ में ही गँवाना नहीं है।। 
                                                                     छोड़ो माया  . .. . .. . . . ..

तेरे जीवन की नइया पुरानी, केवल सद्गुरु खेवइया रे प्राणी । 
            जब बनोगे प्रभु के पुजारी, नाव पार लगेगी तुम्हारी ।।
 छोड़ो माया  . .. . .. . . . 

ये उन्हीं के हवाले तू कर दो, जिन्दगी का ठिकाना नहीं है ।

छोड़ो माया भजो भगवान् को, जिन्दगी का ठिकाना नहीं है ।। 
छोड़ो माया  . .. . .. . 


प्रेम से बोलिए-सद्गुरुदेव जी महाराज की ऽ जय ।
प्रेम से बोलिए-परमपिता परमेश्वर की ऽ जय  ।
प्रेम से बोलिए आनन्दकन्द लीलाधारी प्रभु सदानन्द मनमोहन
भगवान् की ऽ जय ।  


परम प्रभु की है ये वाणी . . . . (भजन)

 परम प्रभु की है ये वाणी जल्दी ही सतयुग छायेगा ।
सत्पुरुषों का राज्य बनेगा, पापी नहीं बच पायेगा ।।
धर्मयुद्ध का बिगुल बज गया नहीं चलेगी मनमानी ।
धर्मक्षेत्र अब बनेगी धरती, नहीं बचेंगें अभिमानी ।।
सत्य की डोरी जो पकड़ेगा वही यहाँ रह पायेगा . . . सत्पुरुषों . .
परम प्रभु की है ये वाणी . . . .
असत्य-सत्य के बीच हो रहा, इस धरती पर युद्ध महान ।
प्रभु शरण में आना होगा, जो चाहो अपना कल्याण ।।
पापियों कान खोलकर सुनलो-पाप छोड़कर धरम पकड़ लो
तभी तू रहने पायेगा . . . . सत्पुरुषों . . .
परम प्रभु की है ये वाणी . . . .
कलयुग की रात गयी सतयुग शुरूआत भयो
भक्तों के भाग्य अब जागे ही जागे
सोऽहँ कोई ज्ञान नहीं, ढोंगी भगवान् नहीं
पापियों के संग पाप जागे ही जागे रे भाई . . . .
कहता हूँ मान लो सत्य को जान लो
श्री सदानन्द प्रभु जी से गीतावाला ज्ञान लो ।
कण-कण में भगवान् नहीं, घट-घट में भगवान् नहीं
प्रभु सदानन्द जी से जानो रे समझो रे भाई . . . .
अब भी अगर नहीं जानेगा तो पीछे पछतायेगा ।
सत्पुरुषों का राज्य बनेगा पापी नहीं बच पायेगा ।
परम प्रभु की है ये वाणी जल्दी ही सतयुग छायेगा ।
 
सत्पुरुषों का राज्य बनेगा, पापी नहीं बच पायेगा ।।

प्रेम से बोलिये -- श्री सद्गुरु देव महाराज की जय ।
आनन्दकन्द लीलाधारी प्रभु सदानन्द जी मनमोहन भगवान् की जय ।